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योगा के अभ्यास से,रोगमुक्त हो जाय।
मन सुंदर तन भी खिले,पहला सुख वह पाय।
पहला सुख वह पाय,निरोगी काया ऐसी।
सावन की बौछार,सुखद होती है जैसी।
अब तो मानव जाग ,अभी तक दुख क्यों भोगा?
शुरू करो मिल साथ,आज से करना योगा।।
सुचिता अग्रवाल’सुचिसंदीप’
तिनसुकिया असम