लिखते लिखते मेरी लेखनी
अकस्मात रूक जायें।
कोई शब्द नहीं मिल पाये
माँ वर्णन जो गाये।।
अकस्मात रूक जायें।
कोई शब्द नहीं मिल पाये
माँ वर्णन जो गाये।।
धीरे-धीरे जीवन बीता
बीते पहली यादें।
बचपन में लोरी जो गाती
गाकर मुझे सुलादे।।
मन-मन्दिर में तेरी सूरत
माँ मुझको बस भाये
कोई शब्द नहीं———————-
बीते पहली यादें।
बचपन में लोरी जो गाती
गाकर मुझे सुलादे।।
मन-मन्दिर में तेरी सूरत
माँ मुझको बस भाये
कोई शब्द नहीं———————-
व्यर्थ बैठ कर सोचा करती
जीवन की गहराई।
कोमल पल्लव से कोमल तू
भूल गयी मै माई।।
प्रेम दया करूणा की बातें
तू ही हमें सुनायें
कोई शब्द नहीं———————-
जीवन की गहराई।
कोमल पल्लव से कोमल तू
भूल गयी मै माई।।
प्रेम दया करूणा की बातें
तू ही हमें सुनायें
कोई शब्द नहीं———————-
तुझमें चारों धाम बसा है
सब देवों की पूजा।
तुझसे बढ़कर नहि कोई माँ
अखिल भुवन में दूजा।।
तू वरदात्री सकल विधात्री
तुझमें सभी समायें
कोई शब्द नहीं————————
सब देवों की पूजा।
तुझसे बढ़कर नहि कोई माँ
अखिल भुवन में दूजा।।
तू वरदात्री सकल विधात्री
तुझमें सभी समायें
कोई शब्द नहीं————————
*गगन उपाध्याय”नैना”*