रमण छंद
विधान
नगण नगण मगण सगण
111 111 222 112
12 वर्ण 4 चरण
दो दो समतुकांत
विधान
नगण नगण मगण सगण
111 111 222 112
12 वर्ण 4 चरण
दो दो समतुकांत
गिरधर अब नैया पार लगा।
सुमिरन करती हूँ ज्ञान जगा।
नटवर बस जाओ मोर हिया।
जगमग जलता है प्रेम दिया।
सुमिरन करती हूँ ज्ञान जगा।
नटवर बस जाओ मोर हिया।
जगमग जलता है प्रेम दिया।
मनहर लगती है मूरतिया।
गिरवर धर तोरी सूरतिया।
नटखट अब देरी नाहिकरो।
झटपट मन मोरे नेहभरो।
गिरवर धर तोरी सूरतिया।
नटखट अब देरी नाहिकरो।
झटपट मन मोरे नेहभरो।