जय माँ दुर्गे तुम्हें प्रणाम
अष्ट सिद्धि नौ निधियों वाली
जीवन में जो लाये दिवाली
जग में जिनकी शान निराली
उन चरणन में जगह बना ली
उन भक्तों को कोटि प्रणाम
हे जगदम्बे ! कोटि प्रणाम
2
दसों भुजा में शस्त्र सुशोभित
गदा चक्र त्रिशूल से मोहित
मांग सिंदूर नयन शत शोणित
नथ कपोल झुमका अति सज्जित
प्रलय ललाट दिखे अविराम
हे जगदम्बे ! कोटि प्रणाम
3
CLICK & SUPPORT
महिषासुर मर्दिनी की जय हो
रक्तबीज नाशिनी की जय हो
शुंभ निशुंभ हननी की जय हो
कलमंजरीरंजिनी की जय हो
शरण गहूँ तव आठो याम
हे जगदम्बे ! कोटि प्रणाम
4
कंचन थाल विराजत वाती
चौंसठ योगिनी मंगल गाती
कानन कुंडल ख़ूब सुहाती
नासिका मोती अतिशय भाती
हे माँ दुर्गे तुम्हे प्रणाम
हे जगदम्बे ! कोटि प्रणाम
5
दुर्गा पूजा में हैं संवरते
वस्त्र नवीन गात पर धरते
हाथ जोड़ तव दर्शन करते
रसगुल्ला प्रसाद मुंह भरते
विंध्यवासिनी माँ तव नाम
हे जगदम्बे ! कोटि प्रणाम
रमेश