जो शख़्स जान से प्यारा है-चन्द्रभान ‘चंदन'(jo sakhsh jan se pyara hai)
जो शख़्स जान से प्यारा है पर करीब नहीं
उसे गले से लगाना मेरा नसीब नहीं
वो जान माँगे मेरी और मैं न दे पाऊँ
ग़रीब हूँ मैं मगर इस क़दर ग़रीब नहीं
हसीन चेहरों के अंदर फ़रेब देखा है
मेरे लिए तो यहाँ कुछ भी अब अजीब नहीं
जो बात करते हुए बारहा चुराए नज़र
तो जान लेना कि वो शख़्स अब हबीब नहीं
जिसे हुआ हो यहाँ सच्चा इश्क वो ‘चंदन’
बिछड़ भी जाएं अगर, तो भी बदनसीब नहीं
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