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~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
. ? *कुण्डलिया छंद* ?
. ? *दरबार*?
??? *मुगल दरबार* ???
राणा हर संदेश को, लौटाते हर बार।
आन बान मेवाड़ क्यों,झुके मुगल दरबार।
झुके मुगल दरबार,मान तज बन दरबारी।
पा मनसब जागीर, चली रिश्तों की बारी।
शर्मा बाबू लाल, झुके नहीं वे महाराणा।
एकलिंग दीवान, वही मेवाड़ी राणा।
??? *राम दरबार* ???
सीता रामानुज सभी, सजे राम दरबार।
हनुमत बैठे चौकसी, दर्शन बारम्बार।
दर्शन बारम्बार ,नयन ये नहीं अघाते।
शुद्ध रहे मन भाव,तभी हरि दर्शन पाते।
शर्मा बाबू लाल, समय कष्टों का बीता।
दिव्य दर्श दरबार, नमन हे श्रद्धा सीता।
?? *क्रिसमस दरबार* ???
आएँ शांता दिन बड़े, ले सबको उपहार।
सजते क्रिसमस पर्व को,ईसा के दरबार।
ईसा के दरबार, संदेशे मिलते हम को।
करो ज्ञान का मान, धरा से मेटो तम को।
कहे लाल कविराय,कर्म सौगात सजाएँ।
नई ईस्वी साल, भाव अच्छे मन आएँ।
.??? *कौरव दरबार* ???
आई सभा में द्रोपदी ,द्यूत सने दरबार।
भीष्म विदुर मन मौन थे, दुर्योधन बदकार।
दुर्योधन बदकार, धूर्त शकुनी के पासे।
पाण्डव सर्वस हार, सभा में रहे उदासे।
कहे लाल कविराय, कर्ण चाहे भरपाई।
खिंचे द्रोपदी चीर,याद तब कान्हा की आई।
.??? *दिल्ली दरबार* ???
मिटते आतंकी नहीं, बच जाते हर बार।
सेना भी आधीन है, दिल्ली के दरबार।
दिल्ली के दरबार, सभी भोगे सुख सत्ता।
सेना को अधिकार,मिले फिर हिले न पत्ता।
कहे लाल कविराय, तभी अपराधी पिटते।
यदि चाहे दरबार, सभी आतंकी मिटते।
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✍✍?©
बाबू लाल शर्मा “बौहरा”
सिकंदरा, दौसा,राजस्थान
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