शीर्षक – नारी का जीवन
विधा – कविता
विधा – कविता
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बँधा पड़ा नारी का जीवन,
सुबह से ले कर शाम।
एक चेहरा किरदार बहुत,
जिवन में नही विश्राम।।
सुबह से ले कर शाम।
एक चेहरा किरदार बहुत,
जिवन में नही विश्राम।।
बेटी,बहन ,माँ और पत्नी,
बन कर देती आराम।
दिखती सहज,सरल पर,
लेकिन होती नही आसान।।
बन कर देती आराम।
दिखती सहज,सरल पर,
लेकिन होती नही आसान।।
भले बीते दुविधा में जीवन,
नही होती परेशान।
ताल मेल हरदम बिठाती,
बनती अमृत के समान।।
नही होती परेशान।
ताल मेल हरदम बिठाती,
बनती अमृत के समान।।
परोपकार की देवी होती,
करती नव जीवन दान।
अनमोल उपहार ये घर का,
प्रकृती का है वरदान।।
करती नव जीवन दान।
अनमोल उपहार ये घर का,
प्रकृती का है वरदान।।
इंदुरानी, स.अ,उत्तर प्रदेश,244222
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