हे ! विष्णु के छठवें अवतारी, जगदग्नि रेणुका सुत प्यारे ।
तुम अजय युद्ध रण योद्धा हो,जिनसे हर क्षत्रिय रण हारे ।।
तुम अजय युद्ध रण योद्धा हो,जिनसे हर क्षत्रिय रण हारे ।।
भृगुवंशी हो तुम रामभद्र
ब्राम्हण कुल में तुम अवतारी
तुम मात पिता के परम भक्त
जाए तुम पर दुनिया वारी
तुम कहलाए शिव परम भक्त,सब काम लोभ तुमसे हारे ।।
ब्राम्हण कुल में तुम अवतारी
तुम मात पिता के परम भक्त
जाए तुम पर दुनिया वारी
तुम कहलाए शिव परम भक्त,सब काम लोभ तुमसे हारे ।।
तुम अजय युद्ध रण योद्धा हो,जिनसे हर क्षत्रिय रण हारे ।।१।।
दो नाम जुड़े यह बना रूप
तुम रामस्वरूप परशुधारी
दिया सब गुरुओ ने जब आदेश
चल दिए करने शिव तप भारी
विजया का पा करके आशीष,हो गए सदा शिव के प्यारे ।।
तुम रामस्वरूप परशुधारी
दिया सब गुरुओ ने जब आदेश
चल दिए करने शिव तप भारी
विजया का पा करके आशीष,हो गए सदा शिव के प्यारे ।।
तुम अजय युद्ध रण योद्धा हो,जिनसे हर क्षत्रिय रण हारे ।।२।।
हे ! परशु अस्त्र शोभायमान
तुम वीर पुरुष हो बलिशाली
क्षत्रीय वंश कांपे तुमसे तुम
ब्राह्मण कुल की आन बान
ब्राह्मण वंशज के हुए शान,रण क्षेत्र के थे तुम मतवारे ।।
तुम वीर पुरुष हो बलिशाली
क्षत्रीय वंश कांपे तुमसे तुम
ब्राह्मण कुल की आन बान
ब्राह्मण वंशज के हुए शान,रण क्षेत्र के थे तुम मतवारे ।।
तुम अजय युद्ध रण योद्धा हो,जिनसे हर क्षत्रिय रण हारे ।।३।।
जब सहस्त्रार्जुन ने किया पाप
पिता – धेनु का कर दिया था वध
तब क्रोधित हो तुम क्रोध के वश
ली उठा शपथ तुमने भारी
क्षत्रिय से करनी है भू खाली
कश्यप ने सुन के यह शपथ
भू छोड़ दो आज्ञा दे डाली
करने मुनी आज्ञा का पालन,तुम महेंद्र गिरी को वास बना डारे ।।४।।
पिता – धेनु का कर दिया था वध
तब क्रोधित हो तुम क्रोध के वश
ली उठा शपथ तुमने भारी
क्षत्रिय से करनी है भू खाली
कश्यप ने सुन के यह शपथ
भू छोड़ दो आज्ञा दे डाली
करने मुनी आज्ञा का पालन,तुम महेंद्र गिरी को वास बना डारे ।।४।।
हे ! विष्णु के छठवें अवतारी, जगदग्नि रेणुका सुत प्यारे ।
तुम अजय युद्ध रण योद्धा हो,जिनसे हर क्षत्रिय रण हारे ।।
तुम अजय युद्ध रण योद्धा हो,जिनसे हर क्षत्रिय रण हारे ।।
शिवांगी मिश्रा