1..
वायु प्रदूषण कर रहा, पर्यावरण बिगाड़।
मानव है तो रोप ले, बड़ पीपल के झाड़।।
वायु प्रदूषण कर रहा, पर्यावरण बिगाड़।
मानव है तो रोप ले, बड़ पीपल के झाड़।।
2..
गंग पतित है पावनी, मानव कैसा खेल।
पर्यावरण बिगाड़ता, भरता कचरा मैल।।
गंग पतित है पावनी, मानव कैसा खेल।
पर्यावरण बिगाड़ता, भरता कचरा मैल।।
3..
पानी तो अनमोल है, व्यर्थ न बहने पाय।
पर्यावरण बचाय लो, पंछी प्यास बुझाय।।
पानी तो अनमोल है, व्यर्थ न बहने पाय।
पर्यावरण बचाय लो, पंछी प्यास बुझाय।।
4..
देखो तो ओजोन में, बढ़ता जाता छेद।
पर्यावरण दूषित हो, खोल रहा है भेद।।
देखो तो ओजोन में, बढ़ता जाता छेद।
पर्यावरण दूषित हो, खोल रहा है भेद।।
5..
पीपल बरगद पेड़ को,कर पितुवत सम्मान।
पर्यावरण सुधार लो , होंगे रोग निदान।।
पीपल बरगद पेड़ को,कर पितुवत सम्मान।
पर्यावरण सुधार लो , होंगे रोग निदान।।
6..
नीम पेड़ है आँवला, औषधि का भंडार।
पर्यावरणी शुद्धता, मिलती शुद्ध बयार।।
नीम पेड़ है आँवला, औषधि का भंडार।
पर्यावरणी शुद्धता, मिलती शुद्ध बयार।।
7..
नहीं आज पर्यावरण, सब दूषित हो जाय।
पेड़ लगायें नीम का, रोग पास ना आय।।
नहीं आज पर्यावरण, सब दूषित हो जाय।
पेड़ लगायें नीम का, रोग पास ना आय।।
8..
गोबर के ही खाद से,अन्न फसल उग जाय।
पर्यावरणी शुद्धता, जीवन सुखी बनाय।।
गोबर के ही खाद से,अन्न फसल उग जाय।
पर्यावरणी शुद्धता, जीवन सुखी बनाय।।
9..
पलक झपकते ये जगत ,कर देगा बरबाद।
दूषित हो पर्यावरण, रखना इक दिन याद।।
पलक झपकते ये जगत ,कर देगा बरबाद।
दूषित हो पर्यावरण, रखना इक दिन याद।।
10..
पावन पुन्य सुकर्म से,करलो पर उपकार।
छेड़ो ना पर्यावरण , सुखी रहे परिवार।।
पावन पुन्य सुकर्म से,करलो पर उपकार।
छेड़ो ना पर्यावरण , सुखी रहे परिवार।।
11..
परम पुनीत प्रसाद है, पर्यावरण प्रदान।
पावन इस वरदान को, व्यर्थ न कर इंसान।।
परम पुनीत प्रसाद है, पर्यावरण प्रदान।
पावन इस वरदान को, व्यर्थ न कर इंसान।।
12..
पर्यावरण सुधारना, चाहे सब दिन रात।
आपा धापी दौड़ में, कभी बने ना बात।।
पर्यावरण सुधारना, चाहे सब दिन रात।
आपा धापी दौड़ में, कभी बने ना बात।।
13..
पर्यावरण बचाइये, ये है बहु अनमोल।
रखियो इसे सँभाल के, मानव आँखे खोल।।
पर्यावरण बचाइये, ये है बहु अनमोल।
रखियो इसे सँभाल के, मानव आँखे खोल।।
14..
पवन अनल जल औ मही,सुन्दर है वरदान।
पर्यावरण सँवार के, कर इनकी पहचान।।
पवन अनल जल औ मही,सुन्दर है वरदान।
पर्यावरण सँवार के, कर इनकी पहचान।।
15..
परम मनोहर जन्म को ,सुख में चाह बिताय।
पर्यावरणी रोक ले, नित नव पेड़ लगाय।।
परम मनोहर जन्म को ,सुख में चाह बिताय।
पर्यावरणी रोक ले, नित नव पेड़ लगाय।।
रचना:-
श्रीमती केवरा यदु *मीरा*
राजिम,जिला-गरियाबंद(छ.ग.)
श्रीमती केवरा यदु *मीरा*
राजिम,जिला-गरियाबंद(छ.ग.)
(Visited 12 times, 1 visits today)