*विधाता छंद*
१२२२ १२२२, १२२२ १२२२
*प्रार्थना*
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सुनो ईश्वर यही विनती,
यही अरमान परमात्मा।
मनुजता भाव मुझ में हों,
बनूँ मानव सुजन आत्मा।
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रहूँ पथ सत्य पर चलता,
सदा आतम उजाले हो।
करूँ इंसान की सेवा,
इरादे भी निराले हो।
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गरीबों को सतत ऊँचा,
उठाकर मान दे देना।
यतीमों की करो रक्षा,
भले अरमान दे देना।
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प्रभो संसार की बाधा,
भले मुझको सभी देना।
रखो ऐसी कृपा ईश्वर,
मुझे अपनी शरण लेना।
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सुखों की होड़ में दौड़ूँ,
नहीं मन्शा रखी मैने।
उड़े आकाश में ऐसे,
नहीं चाहे कभी डैने।
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नहीं है मोक्ष का दावा,
विदाई स्वर्ग तैयारी।
महामानव नहीं बनना,
कन्हैया लाल की यारी।
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रखूँ मैं याद मानवता,
समाजी सोच हो मेरी।
रचूँ मैं छंद मानुष हित,
करूँ अर्पण शरण तेरी।
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करूँ मैं देश सेवा में,
समर्पण यह बदन अपना।
प्रभो अरमान इतना सा,
करो पूरा यही सपना।
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यही है प्रार्थना मेरी,
सुनो अर्जी प्रभो मेरी।
नहीं विश्वास दूजे पर,
रही आशा सदा तेरी।
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