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वास्तविक होना
बहुत कठिन है
वास्तविक होना
कठिन ही नहीं
असंभव है
वास्तविक होना
वास्तविक हम
या तो बचपन में होते हैं
या अपने जीवनसाथी
के पास होते हैं
असल में
जीवनसाथी के पास भी
वास्तविक होने में
बहुत से पहलू
रह जाते हैं
अपने बच्चों
व माता-पिता के समक्ष
पूरी तरह से
बनावटी हो जाते हैं
एक आदर्श का
आडम्बरपूर्वक
ओड लेते हैं आवरण
हो जाते हैं
वास्तविकता से
बहुत दूर
हमारे मन-मस्तिष्क में
चल रहे विचारों का
हो जाए सीधा-प्रसारण
मात्र वही कर सकता है
हमें वास्तविक
-विनोद सिल्ला©
विनोद सिल्ला
771/14, गीता कॉलोनी, नज. धर्मशाला
डांगरा रोड़, टोहाना
जिला फतेहाबाद (हरियाणा)
पिन कोड 125120
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