मजदूरी
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जिंदगी पूरी लिख दी मजदूरी के नाम,
वाह वाही औरों की करते वो पूरा काम।।
वाह वाही औरों की करते वो पूरा काम।।
दबे,लाचार,शोषित ठेकेदारों के हाथ,
मिलती सूखी रोटी ध्याडी का बस नाम।
मिलती सूखी रोटी ध्याडी का बस नाम।
धूप मे तपता नर है और भट्टी मे मादा,
तब कहीं है पलता बचपन आधा आधा।
तब कहीं है पलता बचपन आधा आधा।
उछलता नाम गरीबी देख सत्ता तमाशा,
मिले न छतरोटी मजदूरी लगती ज्यादा।
मिले न छतरोटी मजदूरी लगती ज्यादा।
रहते सदा ही दीन हीन पर मुद्दा गहरा,
करने गरीबी उद्धार आला करते वादा।
करने गरीबी उद्धार आला करते वादा।
बेहतर शिक्षा कैसी कैसा भविष्य भारत का,
कुम्हिलाया यौवन औ बचपन सहमा सा।
कुम्हिलाया यौवन औ बचपन सहमा सा।
इंदुरानी, उत्तर प्रदेश
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