डिजेन्द्र कुर्रे कोहिनूर के मुक्तक कविता मुक्तक - बदरिया की घटाओ सी बदरिया की घटाओ सी ,तेरी जुल्फें ये कारे हैतेरे माथे की बिंदिया से, झलकते चाँद तारे हैकभी देखा…
हम तुम दोनों मिल जाएँ shadi मुक्तक (१६मात्रिक) हम-तुमहम तुम मिल नव साज सजाएँ,आओ अपना देश बनाएँ।अधिकारों की होड़ छोड़ दें,कर्तव्यों की होड़ लगाएँ।हम तुम मिलें समाज सुधारें,रीत प्रीत के…
इस रचना में कवि एक वीर सैनिक की माँ की भावनाओं को व्यक्त कर रहा है जो अपनी माँ से कहकर गया था कि वो युद्ध जीतकर वापस लौटेगा किन्तु.......|
मातृभूमि- कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"
विवाह-एक पवित्र बंधन विवाह एक संस्कृति व संस्कार है।विवाह बंधनों का मधुर व्यवहार है।दो पवित्र आत्माओं का होता मिलन।लुटाएँ एक दूजे पर असीम प्यार है।1।सात जन्मों का है ये प्यारा…
घर का संस्कार है बेटी घर आँगन की शान,अभिमान है होती।माँ बाप की जान पहचान होती है बेटी।अक्सर शादी के बाद पराए हो जाते हैं बेटे।दो कुलों की मान-सम्मान होती…
युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद दिव्य सोच साधना से अपनी,पावन ज्ञान का दीप जलाया।सोए लोगों की आत्मा को,स्वामी जी ने पहली बार जगाया।भगवा हिंदुत्व का संदेश सुनाकर,भारत को विश्वगुरु बनाया।तंद्रा…
ख्वाहिशें हमसे न पूछो-बाबू लाल शर्मा "बौहरा" ख्वाहिशें हमसे न पूछो,ख्वाहिशों का जोर है,तान सीना जो अड़े है,वे बहुत कमजोर हैं।आज जो बनते फिरे वे ,शाह पक्के चोर हैं,ख्वाहिशें हमसे…
वतन है जान से प्यारा -बाबूलाल शर्मा बौहरा विज्ञ सितारे साथ होते तो,बताओ क्या फिजां होती।सभी विपरीत ग्रह बैठे,मगर मय शान जिन्दा हूँ।गिराया आसमां से हूँ,जमीं ने बोझ झेला है।मिली…
प्रीत पुरानी १६ मात्रिक मुक्तकथके नैन रजनी भर जगते,रात दिवस तुमको है तकतेचैन बिगाड़ा, विवश शरीरी,विकल नयन खोजे से भगते।नेह हमारी जीवन धारा।तुम्हे मेघ मय नेह निहारा।वर्षा भू सम प्रीत…