रमेश कुमार सोनी , बसना
हाइकु ( राख – 1 )
1
राख ना जाने
प्यार , रिश्ते , बैर भी
जिंदगी छीने ।।
2
राख की बातें
बुझे वो जिंदा रहे
शेष राख हैं ।।
3
राख पुकारे
लाश होना ही होगा
माया जिंदगी ।।
4
भूतों का मेला
श्मशानों की बस्ती में
राख ना होते ।।
5
राख के ढेर
श्मशान की शोभा है
लाशों के बाग ।।
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