. *राधा रमण छंद*
विधान:-
नगण नगण मगण सगण
१११ १११ २२२ ११२
१२ वर्ण ४ चरण
दो दो चरण समतुकांत
. *राधे- साँवरिया*
विधान:-
नगण नगण मगण सगण
१११ १११ २२२ ११२
१२ वर्ण ४ चरण
दो दो चरण समतुकांत
. *राधे- साँवरिया*
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जब तक तन में श्वाँसे चलती।
विरह विपद में कान्हा भजती।
हम वृष तनुजा हे साँवरिया।
पर सचमुच कान्हा तू छलिया।
.
दिन भर मन में आहें भरती।
हम सब सखियाँ कान्हा तकती।
अब कुछ हँसले प्यारे सजना।
फिर नटवर तू राधे भजना।
जब तक तन में श्वाँसे चलती।
विरह विपद में कान्हा भजती।
हम वृष तनुजा हे साँवरिया।
पर सचमुच कान्हा तू छलिया।
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दिन भर मन में आहें भरती।
हम सब सखियाँ कान्हा तकती।
अब कुछ हँसले प्यारे सजना।
फिर नटवर तू राधे भजना।
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गिरधर सब की बाते सुनते।
पर निज मनमानी ही करते।
तट तरु वन में ढूँढा करते।
पर तुम मन राधा के बसते।
.
✍©
बाबू लाल शर्मा, बौहरा
सिकंदरा, 303326
दौसा,राजस्थान,9782924479
गिरधर सब की बाते सुनते।
पर निज मनमानी ही करते।
तट तरु वन में ढूँढा करते।
पर तुम मन राधा के बसते।
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✍©
बाबू लाल शर्मा, बौहरा
सिकंदरा, 303326
दौसा,राजस्थान,9782924479