शपथ उठाती हूं मैं भारत की बेटी
मैं कभी भी सर नहीं झुकाऊंगी
लाख कर लो तुम भ्रूण की हत्या
फिर भी जन्म मै लेती ही जाऊंगी
मैं कभी भी सर नहीं झुकाऊंगी
लाख कर लो तुम भ्रूण की हत्या
फिर भी जन्म मै लेती ही जाऊंगी
कब तक तुम मुझको मारते रहोगे
कभी तो तुम्हें मुझपे तरस आएगी
फिर भी अगर नहीं सुधरोगे अगर
सोचो बेटों की बारात कहां जाएगी
कभी तो तुम्हें मुझपे तरस आएगी
फिर भी अगर नहीं सुधरोगे अगर
सोचो बेटों की बारात कहां जाएगी
कर लो तुम मुझपे लाखो सितम
मैं सदा दुख सहकर मुस्कुराऊंगी
लडूंगी मैं अपनी ताकत के रहते
हवसी झुंड देख नहीं घबराऊंगी।
मैं सदा दुख सहकर मुस्कुराऊंगी
लडूंगी मैं अपनी ताकत के रहते
हवसी झुंड देख नहीं घबराऊंगी।
अबला कहने वाले लोगों सुन लो
सोच अब खुद की सुधारनी होगी
चली आ रही दहेज की प्रथा को
अबकी बार तुमको मिटानी होंगी।
सोच अब खुद की सुधारनी होगी
चली आ रही दहेज की प्रथा को
अबकी बार तुमको मिटानी होंगी।
अगर अबकी जली एक भी बेटी
जहान में देखना भूचाल आएगा
दुर्गा काली का रूप लेंगी बेटियां
जग में चहुं ओर हाहाकार होगा।।
जहान में देखना भूचाल आएगा
दुर्गा काली का रूप लेंगी बेटियां
जग में चहुं ओर हाहाकार होगा।।
क्रान्ति, सीतापुर सरगुजा छग