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~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
. ? *शब्द सम्पदा* ?
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*रज ~ धूल*
चंदन रज कण कण कनक, मरुधर वीर दकाल।
हार नही माने मनुज, जीवन शान अकाल।।
समर क्षेत्र की रज उठा, करो तिलक हे वीर।
मात भारती देश हित, रक्षण व्रती सुधीर।।
*रजक ~ धोबी*
लेखक कवि शिक्षक कृषक,सैनिक श्रमी सुजान।
करते विमल समाज को, नागर रजक समान।।
झीनी चादर तन रखें, बनकर रजक कबीर।
ज्यों की त्यों देना सखे, देश धरोहर धीर।।
*रंजक ~ रँगने वाला, प्रसन्न करने वाला*
सृष्टि धरा प्राकृत गगन, सप्त रंग लालित्य।
विविध रंग रंगत मनुज, रंजक प्रभु आदित्य।।
. *देश प्रेम के रंग में, भारत माँ का चीर।*
. *रक्त प्राण बलिदान दे, रँगते रंजक वीर।।*
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. *दोहे लिख पढ़ सात अब, शर्मा बाबू लाल।*
. *सात रंग सातों वचन, सात जन्म प्रण पाल।।*
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✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा, राजस्थान
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