*संत बने जो नेता !*
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बाबा,योगी,साध्वी संत
साधु,त्यागी और महंत!
बाबा,योगी,साध्वी संत
साधु,त्यागी और महंत!
पहले लगाये रहते थे ये ध्यान
समाज सुधार,अध्यात्म महान !
समाज सुधार,अध्यात्म महान !
प्रवचन,भक्ति,योग और तपस्या
हल करते थे,पीडितों की समस्या !
हल करते थे,पीडितों की समस्या !
हिमालय,कानन,कंदरा मे जाते
शांति के खोज मे रमे ही पाते !
शांति के खोज मे रमे ही पाते !
आज ये कुछ रास्ता भटक गये
माया-मोह के कुर्सी में अटक गये !
माया-मोह के कुर्सी में अटक गये !
शांति मिलती अब इन्हे वो सदन में
नकली चोला,देखो डाले बदन में !
नकली चोला,देखो डाले बदन में !
कब कैसे मंत्री बनूूँ ,ये अब ताक रहे
तभी विधानसभा,संसद को झाँक रहे!
तभी विधानसभा,संसद को झाँक रहे!
झोपड़ी से अब महल मे आसन लगाये
प्रवचन छोड़,जनता को भाषण पिलाये!
प्रवचन छोड़,जनता को भाषण पिलाये!
इनके पाँचों उँगली घी मे है मस्त
जनता इनके कारनामों से है त्रस्त !
जनता इनके कारनामों से है त्रस्त !
तब ये क्या थे,अब क्या हो रहा देश मे
साधु-संत सब देखो नकली वेष में !
साधु-संत सब देखो नकली वेष में !
कहाँ हो भगवन अब आ भी जाओ
इन बहुरूपियों को जरा होश मे लाओ !
इन बहुरूपियों को जरा होश मे लाओ !
राजकुमार मसखरे