सुधा शर्मा के वृध्दों पर दोहे (SUDHA SHARMA KE DOHE)
बूढ़ा बरगद रो रहा, सूख गये सब पात।
अपनों ने ही मार दी,तन पर देखो लात।।
अपनों ने ही मार दी,तन पर देखो लात।।
दिया उमर भर आज तक,घनी सभी को छाँह।
भूल गये सब कृतज्ञता,काट रहे हैं बाँह।।
भूल गये सब कृतज्ञता,काट रहे हैं बाँह।।
ढूंढ रहा है देख लो,बेबस अपनी छाँव।
आया कैसा हैसमय,बीच धार है नाव।।
आया कैसा हैसमय,बीच धार है नाव।।
मात पिता सम वट समझ ,रखो सदा ही ध्यान ।
शक्ति पुंज बनते सदा,मत करना अपमान।।
शक्ति पुंज बनते सदा,मत करना अपमान।।
बेबस कर मत छोड़िए, हैं ये झरते फूल।
पीड़ा इनकी जानिए,नहीं चुभाओ शूल।।
पीड़ा इनकी जानिए,नहीं चुभाओ शूल।।
छाया वृद्धों का मिले,बरसे नेह दुलार ।
आदर मीठे बोल से,चहके घर संसार।।
आदर मीठे बोल से,चहके घर संसार।।
सुधा शर्मा
राजिम छत्तीसगढ़
10-4-2019
राजिम छत्तीसगढ़
10-4-2019
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