होली के रंग (holi ke rang)
होली के रंग
अबके बरस मैं होरी खेलूँ कान्हा जी के संग ।
साँवरे रंग मोहे भाये भाये न कोई रंग ।।
अब बरस–
साँवरे रंग मोहे भाये भाये न कोई रंग ।।
अब बरस–
आ गई ग्वालन की छोरी
अनगिन मटकी में रंग घोरी
रंग में केसर भी घोरे अब कर देंगे बदरंग।।
अबके बरस मैं होरी खेलूँ कान्हा जी के संग ।
अनगिन मटकी में रंग घोरी
रंग में केसर भी घोरे अब कर देंगे बदरंग।।
अबके बरस मैं होरी खेलूँ कान्हा जी के संग ।
बंशी बजा कर श्याम बुलाते ।
छुप कर फिर वो रंग लगाते
छुप कर मैं भी रंग डालूंगी रह जाये कान्हा दंग ।
अब के बरस मैं होरी खेलूँ कान्हा जी के संग ।।
छुप कर फिर वो रंग लगाते
छुप कर मैं भी रंग डालूंगी रह जाये कान्हा दंग ।
अब के बरस मैं होरी खेलूँ कान्हा जी के संग ।।
फगुवा गीत गाते फगुवारे
छम छम नाचत नंद दुलारे
बजे नगाड़े ढ़ोल देखो और बजे मृदंग ।।
अबके बरस मैं होरी खेलूँ कान्हा जी के संग ।।
छम छम नाचत नंद दुलारे
बजे नगाड़े ढ़ोल देखो और बजे मृदंग ।।
अबके बरस मैं होरी खेलूँ कान्हा जी के संग ।।
रंग में उनके कबसे रंगी हूँ
साँवर प्रीत में मैं पगी हूँ
जन्म जन्म तक छूटे न बस चढ़े श्याम का रंग ।
अबके बरस मैं होरी खेलूँ कान्हा जी के संग ।।
साँवर प्रीत में मैं पगी हूँ
जन्म जन्म तक छूटे न बस चढ़े श्याम का रंग ।
अबके बरस मैं होरी खेलूँ कान्हा जी के संग ।।
केवरा यदु “मीरा “
राजिम
राजिम
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