ये  शहर हादसों का शहर हो न जाए

हादसों का शहर ये  शहर  हादसों  का  शहर  हो न जाए।अमन पसंद लोगों पर कहर हो न जाए।।न  छेड़  बातें  यहां  राम  औ  रहीम की,हिन्दू  और  मुसलमां  में बैर हो न जाए।।अमृत  सा  पानी  बहे  इन दरियाओं  में,आबो हवा बचाओ सब जहर हो न जाए।।गोलियों की  आवाजें सुन  ही  जाती  हैं,पूरी  इन्सानियत  ही  ढेर  हो  … Read more

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अब्र के दोहे

अब्र के दोहे मस्ताया मधुमास है, गजब दिखाए रंग।फागुन बरसे टूटकर, उठता प्रीत तरंग।। लाया फूल पलाश का, मस्त मगन मधुमास।सेमल-सेमल हो गया, फागुन अबके खास।। काया नश्वर है यहाँ, मत भूलें यह बात।कर्म अमर रहता सदा, भाव जगे दिन रात।। सार्वजनिक जीवन सदा, भेद भाव से दूर।जिनका भी ऐसा रहा, वो जननायक शूर।। होली … Read more

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जीवन यही है

जीवन यही है मार्च के महीने मेंदेखता हूँ बिखरे पत्ते धरती की छाती पररगड़ते घिसतेहवा की सरसराहट के संगखर्र खर्र की आवाज बिखरती हैं कानों मेंयत्र तत्रटहनियों से अलग होने के बादमृत प्रायः, काली पीली काया बिखरे पत्तों की…छोड़ती है अपनी अमिट छापउम्रदराज हो जाते हैंआदमी की तरह..सूखे पत्तेहरितिमा नहीं रहती जब कायमवसंत ऋतु के … Read more

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महादेवी वर्मा पर कविता

महादेवी वर्मा पर कविता हिंदी मंदिर की सरस्वती,तुम हिंदी साहित्य की जान।छायावादी युग की देवी,महादेवी महिमा बड़ी महान।।दिया धार शब्दों को,हिंदी साहित्य है बतलाता।दिव्य दृष्टि दी भारत को,साहित्य तुम्हारा जगमगाता।।प्रेरणास्रोत कलम की तुम,हो दर्पण झिलमिलाता।दशा दिशा इस भारत की,जो सबकुछ है दिखलाता।।करुणामयी करुणा की देवी,नारियों की तुम माता।निवलों,विकलों,दुखियों की,तुम हो आधार दाता।।जीव जंतु प्रेमिका तुम,हो … Read more

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दहेज पर कविता

दहेज पर कविता               बेटी कितनी जल गई ,               लालच अग्नि  दहेज ।क्या जाने इस पाप से ,                 कब होगा परहेज ।।कब होगा परहेज ,              खूब होता है भाषण ।बनते हैं कानून ,            नहीं कर पाते पालन ।।कह ननकी कवि तुच्छ ,    .      रिवाजों की बलि लेटी ।रहती  है  मायूस ,               बैठ  मैके  में  बेटी ।।            … Read more

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हम तुमसे प्यार करते हैं

हम तुमसे प्यार करते हैं हाँ यही सच है हम तुमसे प्यार करते हैंजानेजाना हाँ यही सच है तुमपे मरते हैंतुम न होते हो तो तस्वीर से बतियाते हैंदिल के नज़दीक ला हम धड़कन तुम्हें सुनाते हैंहोश खो देते हैं तुम्हेँ सामने जब पाते हैंबेख़ुदी में तुम्हें ही सोच मुस्कुराते हैंपास आ जाओ तुम्हारा इंतज़ार … Read more

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सुनो तुम आ जाओ न

सुनो तुम आ जाओ न सुनो तुम आ जाओ नकुछ अपनी भी सुनाओ नखफ़ा खफ़ा से लगते होथोड़ा सही मुस्कुराओ नयहाँ लोग बातें बनाते हैंनिगाहों को नहीं मिलाओ नबेख़ौफ़ हम रहते हैं मगरतुम तन्हा नहीं बुलाओ नज़िक्र मेरा हर सू करते होकुछ तो राज़ छुपाओ नपल जो साथ गुज़ारे थेयूँ उनको नहीं भुलाओ नरोज़ ख्वाबों … Read more

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कुण्डलिया

कुण्डलिया अंदर की यह शून्यता ,                     बढ़ जाये अवसाद ।संशय विष से ग्रस्त मन ,                     ढूढ़े  ज्ञान  प्रसाद ।।ढूढ़े   ज्ञान  प्रसाद ,           व्यथित मन व्याकुल होता ।आत्म – बोध से दूर ,    …     खड़ा    एकाकी    रोता ।।कह ननकी कवि तुच्छ ,             सतत शुचिता  अभ्यंतर ।कृपा  करें  जब  संत ,              बोध  होता  उर  अंदर ।।                    ~  … Read more

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पानी के रूप

 पानी के रूप धरती का जब मन टूटा तो झरना बन कर फूटा पानी हृदय हिमालय का पिघला जब नदिया बन कर बहता पानी ।। पेट की आग बुझावन हेतु टप टप मेहनत टपका पानी उर में दर्द  समाया जब जब आँसू बन कर बहता पानी ।। सूरज की गर्मी से उड़ कर भाप बना बन रहता पानी एक जगह यदि बन्ध जाए तो गगन … Read more

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मन की जिद ने इस धरती पर कितने रंग बिखेरे

मन की जिद ने इस धरती पर कितने रंग बिखेरे दिन   गुजरे   या   रातें  बीतीं  ,रोज लगाती  फेरे।मन की जिद ने इस धरती पर, कितने रंग बिखेरे।कभी  संकटों  के  बादल ने, सुख  सूरज को घेरा।कभी बना दुख  बाढ़  भयावह  ,मन में डाले डेरा।जिद ही  है जिसने  धरती  पर ,एकलव्य अवतारा।जिद  ही थी जिसने  रावण  को … Read more

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