महामारी से भी मिला उपहार-समय के सदुपयोग की कला और जीवन शैली में सुधार।

महामारी से भी मिला उपहार-समय के सदुपयोग की कला और जीवन शैली में सुधार। कोरोना जैसी महामारी फैली,बदल गई, जीवन की शैली।।समय का इसने सदुपयोग सिखाया,जीने का नया ढंग समसाझा। आज मैं नौरा छतवाल,आई हूँ,इस मंच पर कुछ विचारों का आदान-प्रदान करने, इस वैषविक महामारी का कुछ बखान करनें। काफी कुछ इस महामारी ने हमसे … Read more

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कैसे कहदूँ प्यार नहीं है ?

कैसे कहदूँ प्यार नहीं है ? कैसे कहदूँ प्यार नहीं है ?वह मेरी झंकार नहीं है ? बिन बाती क्या दीप जला है ?कहीं रेत बिन बीज फला है ?कैसा सागर नदी नहीं तोजलद कहाँ जो धार नहीं है ? कैसे कहदूँ ……………… देखा विधु को बिना जुन्हाई ?प्रीत बिना खिलती तरुणाई ?शुष्क मरुस्थल-सा है … Read more

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जाने कैसी बात चली है

hindi gajal

जाने कैसी बात चली है जाने कैसी बात चली है।सहमी-सहमी बाग़ कली है।। जिन्दा होती तो आ जातीशायद बुलबुल आग जली है। दुख का सूरज पीड़ा तोड़ेसुख की मीठी रात ढली है।। नींद कहाँ बसती आँखों मेंजब से घर बुनियाद हिली है।। महक उठा आँगन खुशियों सेजब-जब माँ की बात चली है ।। अशोक दीप

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घर के कितने मालिक -मनीभाई नवरत्न

घर के कितने मालिक वाह भाई !मैंने ईंटें लाई ।सीमेंट ,बालू , कांक्रीट, छड़और पसीने के पानी सेखड़ा कर लियाअपना खुद का घर।बता रहा हूँ सबकोमैं असल मालिक। ये “मैं और मेरा “मेरे होते हैं सोने के पहले।जैसे ही आयेगी झपकी।आयेंगे इस घर केऔर भी मालिकबिखेरेंगे कुतरेंगे सामान ।वही जिसे मैं कहता थाएन्टीक पीस।बताता था … Read more

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इन्हें पहचान -राजकुमार मसखरे

इन्हें पहचान !~~~~~~~~~~~~~कितने राजनेताओं के सुपुत्रसरहद में जाने बना जवान !कितने नेता हैं करते किसानीये सुन तुम न होना हैरान !बस फेकने, हाँकने में माहिरजनता को भिड़ाने में महान !भाषण में राशन देने वालेयही तो है असली शैतान !किसान के ही अधिकतर बेटेसुरक्षा में लगे हैं बंदूक तान !और खेतों में हैअन्न उपजाता कंधे में … Read more

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सपना हुआ न अपना

सपना हुआ न अपना बचपन में जो सपने देखे, हो न सके वो पूरे,मन को समझाया, देखा कि, सबके रहे अधूरे!उडूं गगन में पंछी बनकर, चहकूं वन कानन में,गीत सुरीले गा गा   कर, आनन्द मनाऊं मन में!मां ने कहा, सुनो, बेटा, तुम, चाहो अगर पनपनानहीं, व्यर्थ के सपने देखो, सपना हुआ न अपना सुना पिताजी … Read more

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प्रेम में पागल हो गया

प्रेम में पागल हो गया रूप देख मन हुआ प्रभावित,हृदय घायल हो गया।सुंदरी क्या कहूं मैं,तेरे प्रेम में पागल हो गया। भूल गया स्वयं को,नयनों में बसी छवि तेरी।हृदयाकांक्षा एक रह गई,बाहों में तू हो मेरी। नर शरीर मैंने त्याग दिया,जीवन की आशा है तू ही तू।तेरे प्रेम की कविता,तेरे प्रेम की ग़ज़ल लिखूं। कवि … Read more

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मेरा मन लगा रामराज पाने को

jai sri ram

राम/श्रीराम/श्रीरामचन्द्र, रामायण के अनुसार,रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र, सीता के पति व लक्ष्मण, भरत तथा शत्रुघ्न के भ्राता थे। हनुमान उनके परम भक्त है। लंका के राजा रावण का वध उन्होंने ही किया था। उनकी प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है क्योंकि उन्होंने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता तक का त्याग किया। मेरा मन लगा रामराज पाने को मेरा मन लागा रामराज पाने को ।तड़प रहा जन जन दाने-दाने … Read more

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मैं उड़ता पतंग मुझे खींचे कोई डोर

मैं उड़ता पतंग मुझे खींचे कोई डोर मैं उड़ता पतंग ….मुझे खींचे कोई डोर।तेरी ही ओर।।मेरा टूट न जाए धागा।भागा ….भागा…भागा ….मैं खुद से भागा।जागा.. जागा….जागा.. कभी सोया कभी जागा ।कुछ ख्वाहिशें हैं ,कुछ बंदिशें हैं।पग-पग में देखो साजिशें है ।जिसने जो चाहा है कब वो पाया है ।पल पल में तो मुश्किलें है ।यह … Read more

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सिमटी हुई कली

सिमटी हुई कली सिमटी हुई कली ,मेरे आंगन में खिली।शाम मेरी ढली,तब वह मोती सी मिली।रोशनी छुपाए जुगनू सासारी सारी रात मेरे घर में जली । चंचलता ऐसी जैसे कोई पंछीओढ़े हुए आसमां की चिर मखमली।खुशबू फैल जाए जहां वह मुस्कुराएकदम पड़े उसकी गली गली। सिमटी हुई कली , मेरे आंगन में खिली। मनीभाई नवरत्न

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