कूट अकबर के|तेजल छंद (वाचिक) – बाबूलाल शर्मा

छंद

कूट अकबर के|तेजल छंद (वाचिक) – बाबूलाल शर्मा वर्णिक- तगण मगण, यगण यगण तगण गुरुमापनी- २२१ २२२, १२२ १२२ २२१ २ . 🌛 *…कूट अकबर के* 🌜 . *१*माने नहीं राणा, हठीला थकित हो टोडर गया।हे शाह माना वह, नहीं वह हठी है राणा नया।अकबर हुआ कुंठित, विकारी निराशा मन में बहे।मेरा महा शासन, उदयपुर … Read more

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हिंदी संग्रह कविता- वीर बालक

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वीर बालक हम प्रभात की नई किरण हैं,हम दिन के आलोक नवल।हम नवीन भारत के सैनिक,धीर, वीर, गम्भीर, अचल।हम प्रहरी ऊँचे हिमाद्रि के,सुरभि स्वर्ग की लेते हैं।हम हैं शांति-दूत धरणी के,छाँह सभी को देते हैं।वीर-प्रसू माँ की आँखों के,हम नवीन उजियाले हैं।गंगा-यमुना, हिन्द-महासागर,के हम रखवाले हैं।हम हैं शिवा-प्रताप, रोटियाँभले घास की खाएँगे।मगर किसी जुल्मी के … Read more

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हिंदी संग्रह कविता-सुख-शांतिमय संसार हो

कविता संग्रह

सुख-शांतिमय संसार हो सुख-शांतिमय संसार हो। पशु-शक्ति का न प्रयोग हो, सद्भाव का उपयोग हो, सबसे सदा सहयोग हो, निज चित्त पर निज वित्त पर सबका सदा अधिकार हो,सुख-शांतिमय संसार हो। व्यक्तित्व का सम्मान हो,निज देश का अभिमान हो,पर विश्व-हित का ध्यान हो,निज स्वार्थ में ही भूलकरकोई नहीं अनुदार हो,सुख-शांतिमय संसार हो। सबका सदा उत्कर्ष … Read more

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हम उजाला जगमगाना चाहते हैं -केदारनाथ अग्रवाल

morning

हम उजाला जगमगाना चाहते हैं -केदारनाथ अग्रवाल हम उजाला जगमगाना चाहते हैंअब अँधेरे को हटाना चाहते हैं। हम मरे दिल को जिलाना चाहते हैं,हम गिरे सिर को उठाना चाहते हैं। बेसुरा स्वर हम मिटाना चाहते हैं।ताल-तुक पर गान गाना चाहते हैं। हम सबों को सम बनाना चाहते हैं।अब बराबर पर बिठाना चाहते हैं। हम उन्हें … Read more

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सपनों को साकार करें -प्रेमशंकर रघुवंशी

माँ

सपनों को साकार करें -प्रेमशंकर रघुवंशी आओ, हम सब भारत मां की माटी से श्रृंगार करें! यह वह धरती, जिसने हमको निज उत्सर्ग सिखाया है,यह वह धरती, जिसने हमको अपना अमिय पिलाया है।आज उसी धरती की रक्षा में अपने उद्गार करें! इस जीवन-धन से भी प्यारा हमको अपना देश है,अलग-अलग हैं पंथ हमारे, किन्तु एक … Read more

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गाँव की महिमा पर अशोक शर्मा जी की कविता

karwa chouth

गाँव की महिमा पर अशोक शर्मा जी की कविता गांव और शहर लोग भागे शहर-शहर , हम भागे देहात,हमको लागत है गाँवों में, खुशियों की सौगात। उहाँ अट्टालिकाएं आकाश छूती, यहाँ झोपड़ी की ठंडी छाँव।रात रात भर चलता शहर जब,चैन शकून से सोता गाँव। जगमग जगमग करे शहर, ग्राम जुगनू से उजियारा है।चकाचैंध में हम … Read more

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प्रताप का राज्यारोहण-बाबूलाल शर्मा

कविता संग्रह

प्रताप का राज्यारोहण-बाबूलाल शर्मा मापनी- २२१ २२२, १२२ १२२ २२ वाचिक. *प्रताप का राज्यारोहण*. १सामंत दरबारी, कहे यह कुँवर खल मति मद।रक्षण उदयपुर हित, सँभालो तुम्ही राणा पद।सौगंध बप्पा की, निभे जब मुगल हो बाहर।मेवाड़ का जन जन, पुकारे सजग उठ नाहर।. २राणा बनो कीका, कुँवर अब स्वजन से अड़ कर।महिमा रखें महि भी, हमारी … Read more

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पृथ्वीराज चौहान पर दोहे – बाबू लाल शर्मा

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पृथ्वीराज चौहान पर दोहे (दोहा छंद) अजयमेरु गढ़ बींठली, साँभर पति चौहान।सोमेश्वर के अंश से, जन्मा पूत महान।। ग्यारह सौ उनचास मे, जन्मा शिशु शुभकाम।कर्पूरी के गर्भ से, राय पिथौरा नाम।। अल्प आयु में बन गए, अजयमेरु महाराज।माँ के संगत कर रहे, सभी राज के काज।। तब दिल्ली सम्राट थे, नाना पाल अनंग।राज पाट सब … Read more

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मतदान विषय पर दोहे- बाबू लाल शर्मा

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मतदान विषय पर दोहे- बाबू लाल शर्मा सोच समझ मतदान (दोहा-छंद)1.मत अयोग्य को दें नहीं, चाहे हो वह खास।वोट देय हम योग्य को, सब जन करते आस।। 2.समझे क्यों जागीर वे, जनमत के मत भूल।उनको मत देना नहीं, जिनके नहीं उसूल।। 3.एक वोट शमशीर है, करे जीत या हार।इसीलिए मतदान कर, एक वोट सरकार।। 4.मतदाता … Read more

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शुभकामना विषय पर दोहा -बाबू लाल शर्मा

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शुभकामना विषय पर दोहा -बाबू लाल शर्मा करूँ सदा शुभ कामना, उन्नत होवे देश।भूमण्डल सरनाम हो, उज्ज्वल हो परिवेश।। देश वासियों के लिये, नये साल संदेश।जनता को शुभकामना, खुशियाँ सभी प्रदेश।। सामाजिक परिवेश में, मानव मान समाज।सबके हित शुभकामना, नये साल की आज।। नारी को शुभकामना, मैं देता करजोर।शक्ति देश की ये बने, बढ़े उन्नति … Read more

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