हृदय के ताप हरे-सत्यम प्रकाश ‘ऋतुपर्ण’
कविता सांसारिक चक्र के दुःख संकट से घबराकर भागने की अपेक्षा इन सब विपत्तियों को चुनौती की तरह स्वीकार कर कृष्ण के कर्मयोग पथ पर चलने की राह प्रशस्त करती है।
कविता सांसारिक चक्र के दुःख संकट से घबराकर भागने की अपेक्षा इन सब विपत्तियों को चुनौती की तरह स्वीकार कर कृष्ण के कर्मयोग पथ पर चलने की राह प्रशस्त करती है।
विधा:- पद्य/कविता विषय:-स्त्री शक्ति की प्रतिमूर्ति रचना शीर्षक:- *सर्वशक्ति का रूप है नारी* रचनाकार नाम :- *डी कुमार–अजस्र(दुर्गेश मेघवाल,बून्दी/राज.)* प्रतियोगिता के लिए:- हाँ प्रतियोगिता नियमावली मंजूर:- हाँ डाक प्राप्ति पता :- दुर्गेश कुमार मेघवाल(व्याख्याता) आत्मज श्री प्रभू लाल मेघवाल ‘काला सदन’ पुराना माटुंदा रोड़ ,इंद्रा कॉलोनी बून्दी ,जिला बून्दी राजस्थान पिन:-323001 मोबाइल नम्बर :- 9461302199
प्रस्तुत हिंदी कविता “मोची” के रचयिता आशीष कुमार (मोहनिया, बिहार) हैं. इस कविता को “मोची” के जीवन को आधार मानकर रचा गया है.
दिल्ली देश की राजधानी है जहा राजनितिक हलचल का केंद्र रही है है एक कटाक्ष है दिल्ली के ऊपर / दिल्ली ने हमें क्या दिया और दिल्ली के दिल में क्या है /
हिंदी काव्य में नवीन विधि और प्रयोग के रूप में सृजित स्वरचित प्रेरणादायक अमात्रिक काव्य रचना –एक कदम चल…