Month: March 2022
राजाओं का राजस्थान – अकिल खान
राजाओं का राजस्थान वीरों का जमी,रजवाड़ों का है यह घर,उंचे-लंबे महल है,आकर्षित करे सरोवर।राजपूतों और भीलों का,है ये सुंदर धरती,हिन्द की संस्कृति,देखने को यह पुकारती।जन्म लिए वीर योद्धा,और वीरांगना-महान,है अदम्य अनोखा,राजाओं का राजस्थान। अरावली की सुंदरता,बखान करती है बयार,कुछ सूप्त नदियाँ,सरोवर भी है यहां अपार।थार मरुस्थल में है रेत,छोटे-बड़े बरखान,हे अदम्य अनोखा,राजाओं का राजस्थान। जोधपुर,जयपुर,जैसलमेर,बीकानेर … Read more
मनीभाई नवरत्न की १० कवितायेँ
हाय रे! मेरे गाँवों का देश -मनीभाई नवरत्न हाय रे ! मेरे गांवों का देश ।बदल गया तेरा वेश। सूख गई कुओं की मीठी जल ।प्यासी हो गई हमारी भूतल ।थम गई पनिहारों की हलचल ।क्या यही था विकास का पहल ?क्या यही है अपना प्रोग्रेस ?हाय रे! मेरे गांवों का देश । भूमि बनती … Read more
राजस्थान दिवस कविता – बाताँ राजस्थान री
राजस्थान दिवस कविता : प्रत्येक वर्ष 30 मार्च को हम राजस्थान की अमर गाथा का अपनी सुनहरी यादों में समरण कर इसे राजस्थान दिवस के रूप में मानते है। देश के लिए सर्वस्व न्योछावर करने की परम्परा आज भी राजस्थान में कायम है। 30 मार्च, 1949 को जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय … Read more
सामाजिक विषमता पर कविता- पद्म मुख पंडा
सामाजिक विषमता पर कविता- बही बयार कुछ ऐसी जूझ रहे जीने के खातिर,पल पल की आहट सुनकर,घोर यंत्रणा नित्य झेलते,मृत्यु देवता की धुन पर।सुख हो स्वप्न, हंसी पागलपन,और सड़क पर जिसका घर,किस हेतु वह भय पाले,जब मृत्यु बोध हो जीवन भर? जो कंगाल वही भिक्षुक हो,ऐसा नियम नहीं कोई,जो धनवान, वही दाता हो,होता नहीं, सही … Read more
विश्व रंगमंच दिवस पर प्रियदर्शन की कविता
World Theatre Day: विश्व रंगमंच दिवस हर साल 27 मार्च को मनाया जाता है. विश्व रंगमंच दिवस उत्सव एक ऐसा दिन है जो रंगमंच को समर्पित है. विश्व रंगमंच दिवस पर प्रियदर्शन की कविता कुर्सियां लग चुकी हैंप्रकाश व्यवस्था संपूर्ण हैमाइक हो चुके हैं टेस्टअब एक-एक फुसफुसाहट पहुंचती है प्रेक्षागृह के कोने-कोने में तैयार है … Read more
प्रकृति विषय पर दोहे
प्रकृति विषय पर दोहे सूरज की लाली करें,इस जग का आलोक।तन मन में ऊर्जा भरे,हरे हृदय का शोक।। ओस मोतियन बूँद ने,छटा बनाकर धन्य।तृण-तृण में शोभित हुई,जैसे द्रव्य अनन्य।। डाल-डाल में तेज है, पात-पात में ओज।शुद्ध पवन पाता जगत,हरियाली में रोज।। उड़कर धुंध प्रभात में,भू पर शीत बिखेर।पुण्य मनोरम दृश्य से,लिया जगत को घेर।। झूम … Read more
कर्म पर हिंदी में कविता
श्रृंगार छन्द में एक प्रयास सादर समीक्षार्थ कर्म पर हिंदी में कविता कर्म का सभी करेंआह्वान।कृष्ण का ये है गीता ज्ञान।कर्मबिन होतभाग्य से हीन।सृष्टि में होत वही है दीन।। कर्म जो करे सदा निष्काम।पाय वह शांति औरआराम।आत्म मेंही स्थित हो हरप्राण।ब्रह्म में पा लेता है त्राण।। सृष्टि में रहता जो आसक्त।भोग में लिप्त रहे हर … Read more
शिव महाकाल पर कविता – बाबू लाल शर्मा
हे नीलकंठ शिव महाकाल भक्ति गीत- हे नीलकंठ शिव महाकाल (१६,१४मात्रिक) हे नीलकंठ शिव महाकाल,भूतनाथ हे अविनाशी!हिमराजा के जामाता शिव,गौरा के मन हिय वासी! देवों के सरदार सदाशिव,राम सिया के हो प्यारे!करो जगत कल्याण महा प्रभु,संकट हरलो जग सारे!सागर मंथन से विष पीकर,बने देव हित विश्वासी!हे नीलकंठ शिव महाकाल,भूतनाथ हे अविनासी! भस्म रमाए शीश चंद्र … Read more