लोकन बुढ़िया-नरेंद्र कुमार कुलमित्र

कविता संग्रह

लोकन बुढ़िया स्कूल कैंपस के ठीक सामनेबरगद के नीचेनीचट मैली सूती साड़ी पहनीमुर्रा ज्वार जोंधरी के लाड़ूऔर मौसमी फल इमली बिही बेर बेचतीवह लोकन बुढ़ियाआज भी याद है मुझे उस अकेली बुढ़िया कोस्कूल के हम सब बच्चे जानते थेमगर आश्चर्य तो यह हैउस बुढ़िया की धुंधली आंखेंहम सबको पहचानती थीहम सबका नाम जानती थी उसकी … Read more

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वीर नारायण सिंह माटी के शान

छत्तीसगाढ़ी रचना

वीर नारायण सिंह माटी के शान देस बर अजादी, नइ रिहिस असान ।वीरमन लड़ीन अउ, हाेगिन बलिदान ।सबोदिन हे अगुआ म छत्तीसगढ़िया ।वीर नारायण सिंह ह, इ माटी के शान। इक बेला राज म, महा दुकाल छाइस।दुख पीरा घेरिस अउ सबला तड़पाइस।कइसे देखे भुखमरी हमर वीर सहासी।माखन ल लूटिस, फेर अनाज बटादिस। आंदोलन के बात … Read more

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शाश्वत अनुष्टुप्छन्द में कविता

कविता संग्रह

मैं दिलवर दीवाना हर जनम का प्रिये ।भाये तेरे बिना कोई कभी हो सकता नहीं ।। दीवाने सब हैं मस्त धन दौलत लिए हुए ।अपनी तो फकीरी से यारी है निभा रहे ।। पद लोलुपता तेरी मौलिकता उड़ा गई ।पतनोन्मुख इंसान अंदर से मरा हुआ ।। दीवानेपन की बात यूँ कहते नहीं बने ।है अजीब … Read more

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आजादी के अलख जगैय्या

manibhai

आजादी के अलख जगैय्या वीर नारायण तोर जीनगी के एके ठन अधार।सादा जीवन जीबो अउ बढ़िया रखबो विचार।हक के बात आही त, नई झुकन गा बिंझवारअंग्रेज ला चुनौती देबो, मचा देबो हाहाकार। सोनाखान मा जनम लिस, रामराय परिवार।जेकर पूर्वज रिहीन तीन सौ गां के जमींदार।अकाल पढ़िस राज मा, भुखमरी के शिकार।वीर अपन आंखी ले तो … Read more

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दूध पर कविता

rambriksh-bahadurpuri

मेरे स्कूल का दूध (एक घटना) दुःख ही जीवन की कथा रही यह सदा कष्ट की व्यथा रही। कब तक कोई लड़ सकता है! कब तक कष्टें सह सकता है हो सहनशक्ति जब पीर परे है कौन धीर धर सकता है? मन डोल उठा यह देख दृश्य उस बच्ची का जीवन भविष्य जो आयी थी … Read more

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ग़ज़ल -विनोद सिल्ला

कविता संग्रह

ग़ज़ल -विनोद सिल्ला कैसी-कैसी हसरत पाले बैठे हैं।गिद्ध नजर जो हम पर डाले बैठे हैं।। इधर कमाने वाले खप-खप मरते हैं,पैसे वाले देखो ठाले बैठे हैं।। खून-पसीना खूब बहाते देखे जो,उनसे देखो छीन निवाले बैठे हैं।। नफरत करने वाले दोनों और रहे,कुछ मस्जिद तो बाकि शिवाले बैठे हैं।। खेत कमाते मिट्टी में मिट्टी होकर,सेठ बही … Read more

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वसंत ऋतु पर छोटी सी कविता (short poem on spring)

कविता संग्रह

वसंत भारतीय वसंत को दर्शाता है, और ऋतु का मौसम है। वसंत ऋतु के मुख्य त्योहारों में से एक वसंत पंचमी (संस्कृत: वसन्त पञ्चमी) को मनाया जाता है, जो भारतीय समाज में एक सांस्कृतिक और धार्मिक त्योहार है, जिसे वसंत के पहले दिन, हिंदू महीने के पांचवें दिन (पंचमी) को मनाया जाता है। माघ (जनवरी-फरवरी)। बसंत ऋतू … Read more

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महाशिवरात्रि पर कविता – उपमेंद्र सक्सेना

गेय कविता

महाशिवरात्रि पर कविता – उपमेंद्र सक्सेना बने आप भोले जहर पी लिया सब, लगें आप हमको सब से ही न्यारेनिवेदन करें हम महादेव प्यारे, न डूबें कभी भी हमारे सितारे। बजे हर तरफ आपका खूब डंका, न होती किसी को कहीं आज शंकाभवानी की चाहत हो क्यों न पूरी, बनी थी तभी तो सोने की … Read more

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कबाड़ पर कविता -उपमेंद्र सक्सेना

कविता संग्रह

कबाड़ पर कविता -उपमेंद्र सक्सेना सब हुआ कबाड़ था,भाग्य में पछाड़ थारास्ता उजाड़ था, सामने पहाड़ था। छल- कपट हुआ यहाँ, सो गए सभी सपनकर दिया गया दहन, मिल सका नहीं कफ़नपास के बबूल ने ,दी जिसे बहुत चुभनबेबसी दिखा रही, है यहाँ विचित्र फनस्वार्थ के कगार पर, त्याग जब गया मचललोभ- लालसा बढ़ी, लोग … Read more

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बनारस पर कविता – आशीष कुमार

aashis kumar

बनारस पर कविता – आशीष कुमार जब आँख खुले तो हो सुबह बनारसजहाँ नजर पड़े वो हो जगह बनारसरंग जाता हूँ खुशी खुशी इसके रंग में मैंझूम कर दिल कहता मेरा अहा बनारस सबके सपने देता है सजा बनारसदिल को भी कर देता है जवाँ बनारसइसकी गलियों से जब होकर गुजरूँ मैंपुलकित मन फिर कहता … Read more

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