आज का भारत -आर्द्रा छंद
आर्द्रा छंद – उपेन्द्र वज्रा + इंद्रवज्रा (प्रथम चरण )
इंद्रवज्रा + उपेन्द्र वज्रा (द्वितीय चरण )
आज का भारत
हवा चली है अब देश में जो
विकास गंगा बहती मिली है ।
आनंद वर्षा चहुँ ओर होती
तरंग से आज कली खिली है ।। गरीब कोई मिलता नहीं है
बेरोजगारी अब दूर भागे ।
संसाधनों की कमियाँ नहीं है
रिकार्ड उत्पादन और आगे ।। बना रहा भारत आशियाना
है चाँद की भूमि निहाल होती ।
देखो महाशक्ति नई सजी तो
उदारता विश्व मिसाल होती ।। पड़ोस संबंध सुधार आये
मैत्री बने आदर्श हैं निराले ।
दे मौन हो स्वीकृति विश्व सारा
महान नेता पद को सँंभाले ।।
~ रामनाथ साहू ” ननकी “
मुरलीडीह