“आओ खेल खेलें”

कविता संग्रह
कविता संग्रह

एक कदम बढ़ाओ जोश दिखाओ
छुपे अपने प्रतिभाओं को होश में लाओ
जिम्मेदारियों की चादर में ढक गई
अपनी खेल जिज्ञासा को जगाओ
मजबूती की ढाल पकड़कर तुम
नई उम्मीदों को सजाओ
भूले बिसरे दोस्तों को बुलाओ
जिंदगी में थोड़ा आनंद लाओ
परिवार के साथ मिलकर भी
चलो थोड़ा खेल को सजाओं
विलय होते बीमारियों से
अनमोल जीवन को बचाओ
बचपन को याद करके
कुछ पल बचपन में खो जाओ
तमन्ना दिल में दबी हुई है
उसको तो जरा जगाओ
दुनिया की बोझ से उठकर थोड़ा
खुद को भी अहसास दिलाओ
दबी – दबी सी बुझी – बुझी सी
एक आस जो बाकी है
नीरज चोपड़ा से प्रभावित होकर
जिन्दगी को ऊंचाइयों में ले जाओ
खेल को जीवन में शामिल करके
स्वर्ग को धरती में ले आओ ।



कवियित्री – दीपा कुशवाहा
अंबिकापुर, छत्तीसगढ

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *