आया बरसात
वर्षा ऋतु का वर्णन
आया बरसात

उमस भरी गर्मी को करने दूर,
लेकर सुहावनी हवाऐं भरपूर।
भर गया जल जो स्थान था खाली,
सुखे मरूस्थल में भी छा गई हरियाली।
भीग गए हर गली डगर – पात,
मन को लुभाने, आया बरसात।
कोयल कुहके पपीहा बोला,
मोर नृत्य का राज खोला।
काली घटा बदरा मंडरा गई,
देख बावरी हवा भी शरमा गई।
दामिनी करने लगी धरा से बात,
मन को लुभाने, आया बरसात।
कीट – पतंग और झींगुर की आवाज,
आनंदित है प्राणी वर्षा का हुआ आगाज।
सर्प – बिच्छू शुरू किए जीवन शैली,
धरा के छिद्र से चींटियों की रैली।
मेंढक की धुन से हो वर्षा की सौगात,
मन को लुभाने, आया बरसात।
भीगे धरा का एसा है वृतांत,
साथ में है जीव कोई नहीं एकांत।
सुखे हरे पत्तों में आयी मुस्कान,
लेकर हल खेत चले किसान।
करे स्वागत वर्षा का मानव जात,
मन को लुभाने, आया बरसात।
मछलियों की लगा जमघट,
पक्षी – मानव करें धर – कपट।
बच्चों की अनोखी कहानी,
नाच उठे देख वर्षा का पानी।
होती है सुन्दर मनभावन रात,
मन को लुभाने, आया बरसात।
कावड़ियों का ओंकारा,
रथ – यात्रा का जयकारा।
कुदरत का अनोखा रूप,
कभी वर्षा कभी धूप।
सोंचे मन बह जाऊँ हवा के साथ,
मन को लुभाने, आया बरसात।
— अकिल खान रायगढ़ जिला- रायगढ़ (छ. ग.) पिन – 496440.
Bahut sundar rachana dil ko chhu liya
Bahut sundar…