अकारण ही -राजुल

जीवन यात्रा में बहुत कुछ अकारण होते,रचते रहना चाहिए। वृत्ताकार और यंत्रवत जीवन जीने से मर सा जाता है आदमी और निष्प्राण हो जाती है उसके अंदर की आदमियत…

अकारण ही

अकारण ही खोल देता हूँ फ्रिज का दरवाज़ा
अकारण ही खोलता रहता हूँ मोबाइल का पैटर्न लॉक
और सुनता हूँ टप की आवाज़
अकारण ही बात कर लेता हूँ मरीज़ के तीमारदार से

अकारण ही मार देता हूँ राह चलते पड़े किसी गोलक को
देखता हूँ कहाँ जाकर रुकेगा ;
अगर फिर लक्षित हो सका तो मार देता हूँ एक और लात
अकारण ही पढ़ लेता हूँ परोसे गए समोसे वाले पेपर का टुकड़ा जिस पर लिखा है प्रश्नोत्तर
भूख मीठी कि भोजन मीठा से क्या अभिप्राय है?

अकारण ही नाप लेता हूँ फाफामऊ पुल से नैनी पुल
नदी से नदी मिल जाती है
पुल से पुल क्या कभी मिलते होंगे
न मिलते हों न सही
मैं तो मिल आता हूँ दोनों से अकारण ही

आप अपनी बताओ ब्रो,
अकारण भी कुछ कर -धर रहे हो
या फिर अकारण ही यंत्रवत जिए जा रहे हो

मेरी तो पूछो ही मत
अकारण ही प्रेम करना सीख रहा हूँ सबसे
मतलब सबसे!

-राजुल

Leave A Reply

Your email address will not be published.