अलि पर कविता

अलि पुष्प के पराग से,लेता है रससार।
पुष्प पुष्प पर बैठता , करे सदा गुंजार।।


अलि करता मधुमास में,फूलों का रसपान।
कोयल मीठा गात है ,करती है गुण गान।।


कली कली में बैठता,अलि करता मधुपान।
मस्त मगन हो घूमता,गुन गुन करता गान।।


अलि बैठा है डाल पर,ग्रहण करे मकरंद।
नेह लुटाता फूल पर ,होय कमल में बंद।।


डाली डाली बैठता, अलि है चित्त चकोर।
पीकर रस मदमस्त हो,करता है फिर शोर।।

©डॉ एन के सेठी

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