अप्रैल फूल मनाना चाहिए (मुर्ख दिवस विशेष कविता)

अप्रैल फूल मनाना चाहिए
कभी-कभार हंसने हंसाने का,
लोगों को बहाना चाहिए।
हां!अपनों से मूर्ख बनके,
अप्रैल फूल मनाना चाहिए।
यूं कब तक जिन्दगी को,
गंभीरता से जीते रहेंगे।
इसे तो बेफिकरे बनके ,
बिंदास बिताना चाहिए।
हां अपनों से मूर्ख बनके,
अप्रैल फूल मनाना चाहिए।
हम सीखते हैं धोखा खाने से,
जो सीखा न पाती ढेरों पोथी।
जिन्दगी में सही-गलत का सबब
धोखा खाके आजमाना चाहिए।
हां अपनों से मूर्ख बनके,
अप्रैल फूल मनाना चाहिए।
छोड़ते नहीं जो पुरानी बातें
बन जाते हैं वे हंसी के पात्र।
“मूर्ख दिवस”का इतिहास बताये
समय के साथ ढल जाना चाहिए।
हां अपनों से मूर्ख बनके,
अप्रैल फूल मनाना चाहिए।

(रचयिता:-मनी भाई)