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देवकरण गंडास अरविन्द
- 14 posts
व्याख्याता इतिहास
राजस्थान शिक्षा विभाग
श्रमिक का सफर
जब ढलता है दिन सब लौटते घर
हर चेहरा कहां खुश होता है मगर,
उसका रास्ता निहारती कुछ आंखें
पर खाली हो हाथ तो कठिन डगर।
ऐसा होता है श्रमिक का…
आओ मिल कर दीप जलाएं
गर दीप ही जलाना है हमको
तो पहले प्रेम की बाती लाएं
घी डालें उसमें राष्ट्र भक्ति का
आओ मिल कर दीप जलाएं।
जाति पांती वर्ग भेद भुलाकर
हम हर मानव…
क्या राम फिर से आएंगे
तड़प उठी है नारी
बन रही है पत्थर,
दबा दिया है उसने
अपने अरमानों को,
छुपा लिया है उसने
अपने मनोभावों को,
वो जिंदा तो है मगर
जीती नहीं जिंदा की…
पुनः विश्व गुरु बनेगा भारत
हम पहले हुआ करते थे विश्वगुरु, हमारी ज्ञान पताका फहराती थी,
सकल चराचर है परिवार हमारा , ये बात हवाएं भी गुनगुनाती थी।
लेकिन आधुनिक बनते भारत ने,…
ज़रूरी है देश
देश के रखवालों को मार रहे हैं
वो इस राष्ट्र में फैला रहें हैं द्वेष,
अब तो जागो सत्ता के मालिक
अभी धर्म तुच्छ, जरूरी है देश।
होकर इकट्ठा बने…
जय श्री राम
जन्म लिया प्रभु ने धरती पर
तो यह धरती बनी सुख धाम,
गर्व है, हम उस मिट्टी में खेले
जहां अवतरित हुए प्रभु राम।
राम नाम में सृष्टि है समाहित
इस…
भूख : एक दास्तान
हमने तो केवल नाम सुना है
हम ने कभी नहीं देखी भूख,
जो चाहा खाया, फिर फैंका
हम क्या जानें, है क्या भूख।
पिता के पास पैसे थे बहुत
अपने पास ना…