Join Our Community

Send Your Poems

Whatsapp Business 9340373299

बादलो ने ली अंगड़ाई

0 775

बादलो ने ली अंगड़ाई

CLICK & SUPPORT

बादलो ने ली अंगड़ाई,
खिलखलाई यह धरा भी!
हर्षित हुए भू देव सारे,
कसमसाई अप्सरा भी!

कृषक खेत हल जोत सुधारे,
बैल संग हल से यारी !
गर्म जेठ का महिना तपता,
विकल जीव जीवन भारी!
सरवर नदियाँ बाँध रिक्त जल,
बचा न अब नीर जरा भी!
बादलों ने ली अंगड़ाई,
खिलखिलाई यह धरा भी!

घन श्याम वर्णी हो रहा नभ,
चहकने खग भी लगे हैं!
झूमती पुरवाई आ गई,
स्वेद कण तन से भगे हैं!
झकझोर झूमे पेड़ द्रुमदल,
चहचहाई है बया भी!
बादलों ने ली अंगड़ाई,
खिलखिलाई यह धरा भी!

जल नेह झर झर बादलों का,
बूँद बन कर के टपकता!
वह आ गया चातक पपीहा,
स्वाति जल को है लपकता!
जल नेह से तर भीग चुनरी,
रंग आएगा हरा भी!
बादलों ने ली अंगड़ाई,
खिलखिलाई यह धरा भी!
. °°°°°°°°°
✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा, राजस्थान

Leave A Reply

Your email address will not be published.