बरसा आगे छत्तीसगढ़ी गीत
बरसा आगे छत्तीसगढ़ी गीत
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गरजे बादर घनघोर,होगे करिया अंधियार…बादर छा गे–
बिजुरी चमके अकास,बुझ गे भुंइया के प्यास…बरसा आगे—।।–।।
नाचें रुख राई बन…..कूदें गर्रा घाटा…सूखा मर गे
देवी देवंता आशीष..गिरे सूपा के धार…तरिया भर गे–।।–।।
पीपर होंगे मतवार…भीजे डोली औ खार…पिंयरा परगे–
कोयली कुहू कुहू…भवरा भूँउ..भूँउ….भुंइया तरगे—।।–।।
खेते नांगर बईला…किसान होंगे हरवार… बीजा बिछ गे—
ठंडा जीवरा परान…ठीना.फसल फरवार… आशा हो गे….।।–।।
नाचे मन के मंजूर..होही धान भरपूर…आषाढ़ बार गे….
सावन भादों के आस..तर गे धरती पियास…बरसा आ गे…।।–।।
डॉ0 दिलीप गुप्ता
@-1813/2015