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भारत का किसान

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भारत का किसान

धरती का वह लाल है रहम करे सरकार।
भारत का किसान सदा,जग से करे दुलार।
जग से करे दुलार,सदा अभाव मे रहता।
रहता सदा उदास,प्रेम की फसले करता।
कहे मदन कर जोर, बुद्धि दलाल है हरती।
नही हुआ खुशहाल,उगाये फसले धरती।।

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करते सब सियासत मिल,नेता भारत देश।
भोला किसान फंसता,इनके साथ हमेश।
इनके साथ हमेश , करे सदा बेइमानी।
भरते खुद का पेट,नाम से कर मनमानी।
कहे मदन समझाय,हर ओर से यह मरते।
कृषक हुआ बदनाम,सियासत सबमिल करते।।

देना सब सम्मान जी , धरती का भगवान।
अथक परिश्रम कर सदा, पैदा करता धान।
पैदा करता धान, अभावों मे यह जीता।
रखना उसका ध्यान, कभी वो रहे न रीता।
कहे मदन समझाय, कभी मत रूखा लेना।
दाता का हर भाव, कृषक को आदर देना।

मदन सिंह शेखावत ढोढसर

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