??♀ *भाई दूज* ??♀
( कुण्डलिया छंद )
चलती रीति सनातनी, पलती प्रीत विशेष!
भाई बहिना दोज पर, रीत प्रीत परिवेश!
रीत प्रीत परिवेश, हमारी संस्कृति न्यारी!
करे तिलक इस दूज,बंधु को बहिनें प्यारी!
शर्मा बाबू लाल, सुहानी संस्कृति पलती!
राखी भैया दूज, रीति भारत में चलती!
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*मीरा* जैसी हो बहिन, ऐसा हो अरमान!
बहिन चाहती है सदा, भ्राता कृष्ण समान!
भ्राता कृष्ण समान,रखे सुख दुख में समता!
मात पिता सम प्यार, रखे जो सच्ची ममता!
शर्मा बाबू लाल, बहिन सब चाहत बीरा!
मिलते सब सौभाग्य, सभी को बहिना मीरा!
(बीरा~भाई)
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भैया , भैया दूज पर, ले भौजाई संग!
मेरे घर आजाइयो, चाहत मनो विहंग!
चाहत मनो विहंग, याद पीहर की आती!
कर बचपन की याद,आज भर आई छाती!
शर्मा बाबू लाल, बहिन अरु गैया, मैया!
रख तीनों का मान, दूज पर प्यारे भैया!
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✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा, राजस्थान