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भटके हुए रंगों की होली – राकेश सक्सेना

*भटके हुए रंगों की होली*
रंग,
मनमोहक रंग
आपस में मिल जाएं तो
बनता है इन्द्रधनुष।।
ऐसे रंगों को मिल जाने दो
बना दो मनभावन, मनमोहक
इन्द्रधनुष
मत बांटो इन्हें
जाति, वर्ग या धर्म में।।
राकेश सक्सेना, बून्दी

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भटके हुए रंगों की होली – राकेश सक्सेना

चैत्र कृष्ण एकम होली धुलेंड़ी वसंतोत्सव Chaitra Krishna Ekam Holi Dhulendi Vasantotsav

आज होली जल रही है मानवता के ढेर में।
जनमानस भी भड़क रहा नासमझी के फेर में,
हरे लाल पीले की अनजानी सी दौड़ है।
देश के प्यारे रंगों में न जाने कैसी होड़ है।।


रंगों में ही भंग मिली है नशा सभी को हो रहा।
हंसी खुशी की होली में अपना अपनों को खो रहा,
नशे नशे के नशे में रंगों का खून हो रहा।
इसी नशे के नशे में भाईपना भी खो रहा।।

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रंग, रंग का ही दुश्मन ना जाने कब हो गया।
सबका मालिक ऊपरवाला देख नादानी रो गया,
कैसे बेरंग महफिल में रंगीन होली मनाएंगे।
कैसे सब मिलबांट कर बुराई की होली जलाऐंगे।।


देश के प्यारे रंगों से अपील विनम्र मैं करता हूँ।
धरती के प्यारे रंगों को प्रणाम झुक झुक करता हूँ
अफवाहों, बहकावों से रंगों को ना बदनाम करो,
जिसने बनाई दुनियां रंगों की उसका तुम सम्मान करो।।


हरा, लाल, पीला, केसरिया रंगों की अपनी पहचान है।
इन्द्रधनुषी रंगों सा भारत देश महान है,
मुबारक होली, हैप्पी होली, रंगों का त्यौहार है।
अपनी होली सबकी होली, अपनों का प्यार है।।

(राकेश सक्सेना)
3 बी 14, विकास नगर,बून्दी
मो. नं. 9928305806

13 Comments
  1. [email protected] says

    VERY GOOD NICE

  2. Mahesh kumar says

    बहुत बहुत जबरदस्त

  3. Dheeraj says

    Bahut Sahi

  4. Dheeraj says

    Bahut Sahi

  5. Devansh says

    भटके हुए रंगो को जोड़ने का सुन्दर प्रयास👌👌👏👏

  6. Devansh says

    भटके हुए रंगो को जोड़ने का सुन्दर प्रयास👌👌👏👏👏

  7. Manoj says

    Vaah kya. Baat h

  8. Devansh says

    Sateek

  9. Ramesh Chand chopdar says

    बहुत सुंदर रचना

  10. चन्द्र प्रकाश says

    बहुत अच्छी है वैरी गुड

  11. चन्द्र प्रकाश says

    Very good

  12. चन्द्र प्रकाश says

    Nice

  13. Mahesh kumar says

    Beautiful more beautiful

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