प्रस्तुत कविता शंकर पर कविता आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

शंकर पर कविता

भोले तुम हो भोले
सीधे साधे भोले।
पल में दुख हर लेते हो।
उमापति महादेव कहलाते हो।।
कैलाश पर्वत पर रहते हो।
गंगा को शीश धरे,
चन्द्र की मुकुट पहने।
हे देवों के देव महादेव।
सारे संकट हर लेते हो,
नंदी की सवारी करते हो।
विष कण्ठ में रखते हो,
नीलकण्ठ कहलाते हो।
हे आदि अनंत के देव,
सभी सृष्टि के रचयिता हो।
बेलपत्र,फूल मे ही खुश हो जाते हो।।
भोले तुम हो भोले।
सीधे साधे भोले।।
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रचनाकार:-प्रेमचंद साव, शिक्षक शास.पूर्व माध्यमिक शाला अरेकेल, वि.खं. :-बसना,जिला:- महासमुंद
राज्य:-छत्तीसगढ़, मो.नं. :- 8720030700
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