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बहुत याद आता हैं बचपन का होना

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बहुत याद आता हैं बचपन का होना

वो बचपन में रोना बीछावन पे सोना,,
छान देना उछल कूद कर धर का कोना,,
बैठी कोने में माँ जी का आँचल भिगोना,,
माँ डाटी व बोली लो खेलो खिलौना,,
बहुत याद आता हैं बचपन का होना।।

बहुत याद आता हैं बचपन का होना


गोदी में सुला माँ का लोरी सुनाना,
कटोरी में गुड़ दूध रोटी खिलाना,,
नीम तुलसी के पते का काढा पीलाना,,
नहीं सोने पर ठकनी बूढ़ीया बुलाना,,
बहुत याद आता हैं बचपन का होना ।।

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घर के पास में छोटी तितली पकड़ना,,
वो तितली उड़ा फिर दूबारा पकड़ना,,
लेट कर मिट्टीयो में बहुत ही अकड़ना,,
अकड़ते हुए मा से आकर लीपटना,,
बहुत याद आता हैं बचपन का होना ।।।


दादा के कानधे चढ़ गाँव घर घुम आना,,
रात में दादा दादी का किस्सा सुनाना,,
छत पर ले जा चंदा मामा दीखाना,,
दीखाते हुए चाँद तारे गिनाना,,
बहुत याद आता हैं बचपन का होना ।।


गाँव के बाग से आम अमरूद चुराना,,
खेत में झट दूबक खीरे ककड़ी का खाना,,
पकड़े जाने पर मा को उलहन सुनाना,,
फिर गुस्से में माँ से मेरा पिट जाना,,
बहुत याद आता हैं बचपन का होना ।।।


दीन भर खेत में बाबू जी का होना,,
इधर मैं चलाऊ शरारत का टोना,,
गुरु जी का हमको ककहरा खिखाना,,
दूसरे घर में जा माँगकर मेंरा खाना,,
बहुत याद आता हैं बचपन का होना ।
हाँ बहुत याद आता हैं बचपन का होना ।।।

बाँके बिहारी बरबीगहीया

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