बरसात पर दोहे -बाबू लाल शर्मा
(दोहा छंद)
1. बरसात
होती है सौभाग्य से, धरती पर बरसात।
नीर सहेजो मेह का, लाख टके की बात।।
2. बूँद
बूँद बूँद है कीमतन, पानी की अनमोल।
बिंदु बिंदु मिलकर करे,सरिता सिंधु किलोल।
3. फुहार
रिमझिम वर्षा है भली, धरती रमे फुहार।
जल स्तर ऊँचा रहे, छाए फसल बहार।।
4. पानी
पानी आँखों का गया, सरवर रीते कूप।
बिन पानी सब सून है,रहिमन कही अनूप।।
5. आँगन
नैना बरसे सेज पर, आँगन बरसे मेह।
होड़ मची है झर लगे, सावन सजनी नेह।।
6. छतरी
बिकती है बाजार में,लगती खेत,जमीन।
सेहत वर्षा धूप में, इक छतरी गुण तीन।।
7. सतरंगी
इन्द्रधनुष आकाश मे,धरा फसल अनुराग।
सत रंगी दोनो हुए, अनुपम बरसा भाग।।
8. ओस
आएगी सर्दी सखी, रात ठिठुरती ओस।
खेतों में साजन रहे, मैं मन रहूँ मसोस।।
9. हरियाली
हारिल,हरियल बाग में, पंछी नेक अनेक।
हर हरियाली तीज पर, झूला झूलन टेक।।
10. आनंद
दोहों की प्रतियोगिता, देती है आनंद।
सीखो लिखो विवेक से,अनुपम दोहा छंद।।
© बाबू लाल शर्मा, बौहरा,विज्ञ