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बस यही दासतां हमारी है

बस यही दासतां हमारी है

कुछ  नकद ली है कुछ उधारी है।

बस    यही    दासतां   हमारी  है।।

कुछ  रफ़ू की है और कुछ सी है।

जिंदगी   से   अभी  जंग  जारी है।।

दर्द  से  जिसका  राब्ता हुआ।

ख़ुद  को समझे  बड़ा शिकारी है।।

ज़ख़्म को खोद कुछ बड़ा कीजे।

ज़िंदगी   मौत   से   भी  भारी  है।।

तख़्त  की सीढ़ियाँ  नई  हैं कुछ।

वक्त  की कुछ  कशीदाकारी  है।।

मंज़रे  ख़्वाब से  निकल, अजय।

कह   रही  तुम्हारी   बेक़रारी  है।।

अजय मुस्कान

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