कविता
- बस कर भगवन / शिवराज सिंह चौहान
- विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर एक कविता
- होली में धूम मचायेंगे /डॉ रामबली मिश्र
- आत्म निर्भर भारत/हरि प्रकाश गुप्ता, सरल
- विश्व कविता दिवस/मंजूषा दुग्गल
- कवि और कविता/सुशी सक्सेना
- विश्व कविता दिवस/डॉ0 रामबली मिश्र
- पर्यावरण दिवस पर कविता /मंजूषा दुग्गल
- पर्यावरण की रक्षा/कामरान
- दौलत पर कविता /डॉ0 रामबली मिश्र
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हिंदी ग़ज़ल
यह अरबी साहित्य की प्रसिद्ध काव्य विधा है । संगीत के क्षेत्र में इस विधा को गाने के लिए इरानी और भारतीय संगीत के मिश्रण से अलग शैली निर्मित हुई।
अरबी भाषा के ‘ग़ज़ल’ शब्द का अर्थ है औरतों से या औरतों के बारे में बातें करना।
ग़ज़ल एक छोटी कविता है जिसमें तुकबंदी करने वाले जोड़े होते हैं, जिन्हें कहा जाता है बेअत या शेर. अधिकांश ग़ज़ल सात और बारह के बीच होती हैं
It is a famous poetic genre of Arabic literature. In music, this genre was created by mixing Iranian and Indian music to sing this genre.
The word ‘Ghazal’ in Arabic means to talk to women or about women.
जाने कैसी बात चली है
जाने कैसी बात चली हैजाने कैसी बात चली है।सहमी-सहमी बाग़ कली है।।जिन्दा होती तो आ जातीशायद बुलबुल आग जली है।…
भाषा बड़ी है प्यारी -बासुदेव अग्रवाल नमन
भाषा बड़ी है प्यारीभाषा बड़ी है प्यारी, जग में अनोखी हिन्दी,चन्दा के जैसे सोहे, नभ में निराली हिन्दी।…
वक़्त पर हमने अगर ख़ुद को संभाला होता
वक़्त पर हमने अगर ख़ुद को संभाला होताज़ीस्त में मेरी उजाला ही उजाला होतादरकते रिश्तों में थोड़ी सी तो नमी होतीअपनी…
बाबा मेरे नाम का बादल भेजो ना
बाबा मेरे नाम का बादल भेजो नाधूप बहुत है मौसम जल-थल भेजो ना,बाबा मेरे नाम का बादल भेजो नामौलसरी की शाख़ों…
चेहरे के लिए आईने क़ुर्बान किए हैं- राहत इंदौरी
राहत इंदौरी की अनसुनी ग़ज़ल : चेहरे के लिए आईने क़ुर्बान किए हैं
अलविदा मेरे चाहने वाले-कमल यशवंत सिन्हा ‘तिलसमानी’
अलविदा मेरे चाहने वालेजब उसने ही छोड़ दिया मुझको मेरे हवालेतुम्हीं बताओ फिर मुझको कौन संभाले???अब फिर किसी…
राजकिशोर धिरही के गजल
राजकिशोर धिरही के गजलकमाई पाप की हो वो खजाना छोड़ दो अब सेमिलाकर दूध में पानी कमाना छोड़ दो अब सेभरोसा…
यार तेरी कसम-गज़ल
यार तेरी कसम-गज़लरूठ जाऊँ कभी तो मनाना मुझे।कर ये वादा कभी मत सताना मुझे।।गर कहीं भूल जाऊँ ये राहे वफ़ा,*यार…
गज़ल-मौत का क्या है
गज़ल-मौत का क्या हैमौत का क्या है कभी तो आ ही जाएगी,,,हयात का क्या है कभी तो खत्म हो ही जाएगी,,सोचते रहते…