चाँद पर कविता
चाँद बिखरता चाँदनी,
करता जग अंजोर।
चंद्र कांति से नित लगे,
अभी हुआ है भोर।।
दुनिया भर से तम मिटा,
चारों दिशा प्रकाश।
नील गगन पर दिव्यता,
आलोकित आकाश।।
CLICK & SUPPORT
नवग्रह देव मयंक हैं,
धरो मनुज तुम ध्यान।
पूज्यनीय है परम प्रभु,
चंद्र देव को मान।।
शीतल पुंज प्रकाश से,
नाद करे भू ताल।
वही निशापति चाँद हैं,
शोभित शंकर भाल।।
सारे तारे देख लो,
शशिधर दिव्य प्रकाश।
किरणें उसके हैं लगे,
लाल रंग आकाश।।
~ मनोरमा चन्द्रा “रमा”
रायपुर (छ.ग.)