चंदा मामा पर बाल कविता


चन्दा मामा चन्दा मामा,
करते हो तुम कैसा ड्रामा।
कभी सामने आते हो,
कभी छुप छुप जाते हो।

छुप छुप कर मुझे देखते,
बादलों की चादर ओढ़े।
सितारों के मध्य चलकर,
मुझको बड़ा खिजाते हो।

आओ लुका छिपी खेलें,
बादलों के पीछे मिलें।
मुझे ढूंढो मैं तुम्हें ढूंढू,
क्यों रूठ जाते हो?

मेरे घर कभी आओ ना,
खुश हो जाएगी मेरी माँ।
हलवा पूड़ी संग संग खाएंगे,
हर दिन मुझे रिझाते हो।

मैं बादलों के पार जाऊँ,
तुमको अनेक खेल बताऊँ।
पर तुम तक पहुँचूँ कैसे,
राह नहीं बताते हो।


साधना मिश्रा, रायगढ़, छत्तीसगढ़

Comments

  1. Anik Kumar Gupta Avatar
    Anik Kumar Gupta

    Nice platform for young writers

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