चार दीयों से खुशहाली
चार दीयों से खुशहाली
( लावणी छंद )

एक दीप उनका रख लेना,
तुम पूजन की थाली में।🌹
जिनकी सांसे थमी रही थी,
भारत की रखवाली में.!!🌹

एक दीप की आशा लेकर,
अन्न प्रदाता बैठा है। ।🌹
शासन पहले रूठा ही था,
राम भी जिससे रूठा है।🌹

निर्धन का धर्म नही होता,
बने जाति भी बेमानी ।।🌹
एक दीप उनका भी रखकर,
समझो सब राम कहानी।।🌹

एक दीप शिक्षा का रखकर,
आखर अलख जगालो तुम।🌹
जगमग होगी दुनिया सारी,
खुशियाँ खूब मनालो तुम।🌹

चार दीप सब सच्चे मन से,
दीवाली रोशन करना।🌹
मन में दृढ़ सकल्प यही हो,
देश हेतु जीना – मरना।🌹

और दीप भी खूब जलाना,
खुशियाँ मिले अबूझ को।🌹
खील बताशे, लक्ष्मी-पूजन,
गोवर्धन, भई दूज को।🌹


✍ बाबू लाल शर्मा “बौहरा”
सिकन्दरा
दौसा,राजस्थान
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