चिड़िया पर बालगीत – साधना मिश्रा

चिड़िया पर बालगीत – चुनमुन और चिड़िया

बाल कविता

चुनमुन पूछे चिड़िया रानी,
छुपकर कहाँ तुम रहती हो?
मेरे अंगना आती न तुम,
मुझसे क्यों शर्माती हो?

नाराज हो मुझसे तुम क्यों?
दूर – दूर क्यों रहती हो?
आओ खेलें खेल- खिलौने,
डरकर क्यों छुप जाती हो?

चिड़िया उदास होकर बोली,
मेरा घर बर्बाद किया।
बाग – बगीचे काट-काटकर,
अपना घर आबाद किया।

खुश रहो तुम अपने घर,
बार – बार क्यों बुलाती हो?
मेरा तुमने घर छीना है,
अब क्यों प्यार जताती हो?

चुनमुन कान पकड़कर बोली,
मुझसे ये अज्ञान हुआ।
हरे वृक्ष जीवों के घर हैं,
आज मुझे ये ज्ञान हुआ।

हरियाली – खुशहाली लाती है,
हरियाली हरषाती है।
हरियाली परिधान पहनकर,
धरती खुश हो जाती है।

मिलजुल कर सब संग रहेंगे,
नए वृक्ष लगाएंगे।
हरी- भरी ये धरती होगी,
खुशहाली वापस लाएंगे।

मत रूठो प्यारी चिड़िया,
मधुर – मधुर तुम गाती हो।
अब मुझको तुम क्षमा करो,
बहुत मुझे तुम भाती हो।

साधना मिश्रा, रायगढ़, छत्तीसगढ़

Leave A Reply

Your email address will not be published.