चूहा पर बाल कविता
चूहा पर बाल कविता

कविता 1
वह देखो वह आता चूहा,
आँखों को चमकाता चूहा
मूँछों से मुस्काता चूहा,
लंबी पूँछ हिलाता चूहा
मक्खन रोटी खाता चूहा,
बिल्ली से डर जाता चूहा
कविता 2
आज मंगलवार है
चूहे को बुखार है
चूहा गया डॉक्टर के पास
डॉक्टर ने लगाई सुई….
चूहा बोला उई उई ……
कविता 3
एक था चूहा
फुदकते रेंगते
उसे मिली चिन्दी
चिन्दी लेकर वो गया
धोबी दादा के पास
उससे कहा धोबी दादा.धोबी दादा
मेरी चिन्दी को धो दो
उसने कहा मैं नी धोता .
चूहा बोला – चावडी में जाऊँगा
चार सिपाही लाऊँगा
तुझको मार पीटवाऊँगा
और मैं तमाशा देखूँगा
धोबी दादा घबराया
उसने उसकी चिन्दी धो दी.
चिन्दी लेकर वो गया
रंगरेज के यहाँ
रंगरेज दादा ..रंगरेज दादा
मेरी चिन्दी को रंग दो
उसने कहा – मैं नी रंगता
चूहा बोला चावडी में जाऊँगा
चार सिपाही लाऊँगा
तुझको मार पीटवाऊँगा
और मैं तमाशा देखूँगा
रंगरेज घबराया
उसने फट से उसकी चिन्दी रंग दी.
बाद में वो गया दरजी दादा के पास
दरजी दादा .दरजी दादा
मेरी चिन्दी को सी दो
उसने कहा – मै नी सीता
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चूहा फिर बोला – चावडी में जाऊँगा
चार सिपाही लाऊँगा
तुझको मार पीटवाऊँगा
और मै तमाशा देखूँगा
दरजी घबराया उसने टोपी सिल दी.
टोपी लेकर वो गया गोटे दादा के पास
गोटे दादा गोटे दादा
मेरी टोपी को गोटा लगा दो
गोटे दादा तुरन्त बोला
मै नी लगाता
चूहे ने फट से कहा – चावडी में जाऊँगा
चार सिपाही लाऊँगा
तुझको मार पीटवाऊँगा
और मै तमाशा देखूँगा
गोटे दादा घबराया
उसने टोपी को तुरन्त गोटा लगा दिया.
टोपी पहनकर चूहा
जा बैठा ऊँचे पेड़ पर
वहाँ से निकली राजा की स्वारी
वह देख चूहा बोला –
राजा – – – – – -राजा उपर ,छोटे – – – – -छोटे नीचे
सुनकर राजा को आया गुस्सा
चूहे को देख वह बोला
मुझे छोटा बोलता है
सिपाहियों से कहा – जाओ उसकी टोपी ले आओ
सिपाही टोपी ले आया
चूहा तुरंत बोला – राजा भिखारी
हमारी टोपी ले ली
राजा को फिर आया क्रोध
उसने टोपी फेंक दी
टोपी उठाकर चूहा फिर बोला –
राजा हमसे डर गया – – – – –
हमारी टोपी दे दी .
…………...
कविता 4
चूहे चाचा
चूहे चाचा पहन पजामा,
दावत खाने आए।
साथ में चुहिया चाची को भी,
सैर कराने लाए।
दावत में कपड़ों की कतरन,
कुतर-कुतर कर खाएँ।
चूहे चाचा कूद-कूद कर
ढम ढम ढोल बजाएँ।