मनहरण घनाक्षरी -दशहरा

नवरात्रि अतिकान्त,
दैत्यगण भयाक्रांत,
तिथि विजयदशमी,
सब को गिनाइए।
राम जैसे मर्यादित,
रहो सखे शांतचित,
धीर वीर देश हित,
गुण अपनाइए।
यथा राम शक्ति धार,
दोष द्वेष गर्व मार,
तिया के सम्मान हेतु,
पर्व को मनाइए।
आसुरी प्रतीक मान,
सनातनी रीति ज्ञान,
दानवी बुराई रूप,
रावण जलाइए।
बाबू लाल शर्मा, बौहरा, विज्ञ
सिकन्दरा, दौसा, राजस्थान
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