नव्य आशा के दीप जले – मधु सिंघी

दीप जले
HINDI KAVITA || हिंदी कविता

नव्य आशा के दीप जले,
उत्साह रूपी सुमन खिले।
कौतुहल नवनीत जगाकर,
नया साल लो फिर आया।

मन के भेद मिटा करके,
नयी उम्मीद जगा करके।
संग नवीन पैगाम लेकर ,
नया साल लो फिर आया।

सबसे प्रीत जगा करके,
सबको मीत बना करके।
संग में सद्भावनाएँ लेकर ,
नया साल लो फिर आया।

मुट्ठी में भर सातों आसमान,
रखके मन में पूरे अरमान।
संग इंन्द्रधनुषी रंग  लेकर,
नया साल लो फिर आया।

मधु सिंघी
नागप

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